दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार
दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार
फूलों को देखा
तूने जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मै
एक बदनसीब हूँ मै
एक बदनसीब हूँ मै
मुझे नहीं देखा एक बार
दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार
सूरज की पहली किरणों को
देखा तूने अलसाते हुए
सूरज की पहली किरणों को
देखा तूने अलसाते हुए
रातों में तारो को देखा
सपनो में खो जाते हुए
यु किसी न किसी बहाने
यु किसी न किसी बहाने
तूने देखा सब संसार
तूने देखा सब संसार
दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार
काजल की क़िस्मत क्या कहिये
नैनो में तूने बसाया है
काजल की क़िस्मत क्या कहिये
नैनो में तूने बसाया है
आँचल की क़िस्मत क्या कहिये
तूने आग लगाया है
हसरत ही रही मेरे दिल में
हसरत ही रही मेरे दिल में
बनु तेरे गले का हार
बनु तेरे गले का हार
दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार
फूलों को देखा
तूने जब जब आई बहार
एक बदनसीब हूँ मै
एक बदनसीब हूँ मै
एक बदनसीब हूँ मै
मुझे नहीं देखा एक बार
दर्पण को देखा
तूने जब जब किया सिंगार.
Movie:Upaasna 1971
Singer:Mukesh Chand Mathur (Mukesh)
Music:Anandji Virji Shah, Kalyanji Virji Shah
Lyrics:Indeevar (Shyamalal Babu Rai)