इंसाफ का तराज़ू | Insaaf Ka Tarazu | Insaf Ka Tarazu (1980) | hindi lyrics

इंसाफ का तराज़ू जो हाथ में उठाये
जुर्मो को ठीक तोले जुर्मो को ठीक तोले

ऐसा न होक कल का इतिहाश्कार बोले
मुरम से भी ज्यादा मुंसिफ ने ज़ुल्म ढाया
की पेष उसके आगे गम की गवाहियां भी
राखी नज़र के आगे दिल की तबहिया भी
उसको यकीं न आया इंसाफ कर न पाया
और अपने इस अमल से बढ़कर मुजरिमो के
नापाक होश्लो को कुछ और भी बढ़ाया
इंसाफ का तराज़ू जो हाथ में उठाये
ये बात याद रखे ये बात याद रखे

सब मुंसिफ़ों से ऊपर एक और भी है मुंसिफ़
वो जो जहा का मालिक सब हाल जानता है
नेकी के और भड़ी के अहेवाल जानता है
दुनिया के फैसले से मायूस जाने वाला
ऐसा न होक उसके दरबार में पुकारे
ऐसा न होक फिर उसके
इंसाफ का तराज़ू एक बार फिर से तोले
मुजरिम के ज़ुल्म को भी
मुंसिफ की भूल को भी मुंसिफ़ की भूल को भी
और अपना फैसला देख वो फैसला के जिस से
हर रूह कांप उठे.

Movie:Insaf Ka Tarazu 1980
Singer:Mahendra Kapoor
Music:Ravindra Jain
Lyrics:Sahir Ludhianvi

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